एक रिसर्च के आधार पर कहा गया है कि नियमित और अधिक मात्रा में सनस्क्रीन लगाने से हमारे शरीर में विटामिन डी की कमी होने लगती है। सनस्क्रीन त्वचा की सूर्य की किरणें अवशोषित करने की क्षमता कम कर देती है जिससे हमारे शरीर की जरूरत के मुताबिक विटामिन डी नहीं बन पाता है। अमरीकन ऑस्टियोपैथिक एसोसिएशन के जर्नल में यह शोध प्रकाशित हुआ है।
हमारी हड्डियां हो रही हैं कमजोर -
सूरज की तेज रोशनी और पराबैंगनी किरणों के बुरे प्रभाव से बचने के लिए हम सनस्क्रीन लोशन तो लगाते हैं। लेकिन इसका नियमित और अधिक इस्तेमाल से हमारी हड्डियां कमजोर हो सकती हैं। इसके साथ ही कई अन्य बीमारियों की आशंका बढ़ रही है।
जरूरी है सूरज की किरणों का संपर्क : रिसर्च से जुड़े विशेषज्ञ किम फोटेंहॉर बताते हैं कि सनस्क्रीन लगाने से विटामिन डी उत्पन्न करने की हमारी त्वचा की क्षमता कम हो जाती है। हालांकि सूर्य कि किरणों के सीधा संपर्क से होने वाले नुकसान, स्किन कैंसर आदि से बचने के लिए सनस्क्रीन लगाने की सलाह दी जाती है। इसके बावजूद सूरज की किरणों के संपर्क में थोड़ी देर रहना चाहिए। इससे मसल्स और हड्डियां मजबूत होती हैं। सुस्ती, थकावट, मूड स्विंग आदि समस्या से भी बचाव होता है।
सप्ताह में 3 बार धूप लेना है जरूरी -
विटामिन डी महत्त्वपूर्ण पोषक तत्व है जो ब्लड में कैल्शियम और फॉस्फोरस का स्तर नियमित रखने के लिए जरूरी है। यह कैल्शियम के अवशोषण और हड्डियों के विकास व मजबूती के लिए जरूरी होता है। हालांकि सोया मिल्क, मशरूम और अंडा विटामिन डी के अच्छे स्रोत होते हैं, लेकिन सूर्य की किरणों से बेहतर नहीं हैं। ब्रिटिश डायटेटिक्स एसोसिएशन के अनुसार सप्ताह में 3 बार 15 मिनट तक सूरज की किरणों के संपर्क में रहना चाहिए।
सूर्य की थोड़ी देर के एक्सपोजर से भी लाभ -
रिसर्च के मुताबिक 15 या इससे ज्यादा एसपीएफ वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने से 99 प्रतिशत तक विटामिन डी3 का प्रोडक्शन कम हो जाता है। ऐसे में जरूरी है कि सप्ताह में दो से तीन बार बिना सनस्क्रीन लगाए सूर्य की रोशनी में तेजी से वॉक किया जाए। ताकि त्वचा का अधिकतम भाग सूर्य की किरणों को अवशोषित कर सके और विटामिन डी की जरूरी मात्रा उत्पन्न कर सके जो कि हमारे शरीर के लिए आवश्यकता है।
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