तुलसी का पौधा हवा में मौजूद बैक्टीरिया को नष्ट करता है। इसकी सुगंध श्वास संबंधी रोगों से बचाती है। तुलसी की एक पत्ती रोज सेवन करने से रोगप्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। तुलसी सर्दी-खांसी से लेकर कई बड़ी और भयंकर बीमारियों में भी एक कारगर औषधि है। आयुर्वेद में तुलसी के पौधे के हर भाग को स्वास्थ्य के लिहाज से फायदेमंद बताया गया है। तुलसी की जड़, तना, पत्ती और बीज सभी का महत्व है। आमतौर पर घरों में दो तरह की तुलसी देखने को मिलती है, एक जिसकी पत्तियों का रंग थोड़ा गहरा होता है औ दूसरा जिसकी पत्तियों का रंग हल्का होता है।
पुरुषों में शारीरिक कमजोरी होने पर तुलसी के बीज का इस्तेमाल काफी फायदेमंद होता है। इसके अलावा यौन-दुर्बलता और नपुंसकता में भी इसके बीज का नियमित इस्तेमाल फायदेमंद रहता है। अक्सर महिलाओं को पीरियड्स में अनियमितता की शिकायत हो जाती है। ऐसे में तुलसी के बीज का इस्तेमाल करना फायदेमंद होता है। मासिक चक्र की अनियमितता को दूर करने के लिए तुलसी के पत्तों का भी नियमित किया जा सकता है।
तुलसी की पत्तियों को पीसकर इसका रस पीने से पाचनशक्ति ठीक होती है और पेट के रोग दूर होते हैं।
जुकाम-सर्दी व थकावट में तुलसी के पत्ते चाय के साथ सेवन करने से सर्दी, जुकाम व थकान संबंधित समस्याएं दूर होती हैं।
तुलसी के रस के दो चम्मच पीने से खुजली मिट जाती है। तुलसी की सूखी पत्तियों को पीसकर उबटन लगाने से चेहरे की चमक बढ़ती है और झाइयां दूर होती हैं। तुलसी की पत्तियों का रस 15 दिन तक दो बूंद नेत्रों में डालने से रतौंधी में आराम मिलता है।
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