उदयपुर के गवर्नमेंट आयुर्वेद अस्पताल के पूर्व प्राचार्य डॉ. गौरी शंकर इंदौरिया ने बताया कि आयुर्वेद के भावप्रकाश ग्रंथ में वर्णित 'कुक्कुमं चन्दनं चापि कृष्णागुरु च मिश्रितम्। उष्णं वातकफध्वंसि शीतकाले तदिष्यते। श्लोक के अनुसार शीत ऋतु में केसर, चन्दन और कालाजर को त्वचा पर लेप की तरह लगाने से ऊष्णता बढ़ती है और वात व कफ नष्ट होते हैं। जानें अन्य उपयोगी लेप-
10-15 मिनट के लिए लगाएं : चरक संहिता में वर्णित 10 औषधियों (श्वेत चन्दन, नागकेशरा, पदमक, उशेरा, मधुका, मंजीष्ठा, शरीवा, पयस्या, सीता और लता) के मिश्रण को हल्की धूप में बैठकर 10-15 मिनट चेहरे और त्वचा पर अन्य जगह पर लेप की तरह लगाएं। इससे त्वचा में नमी बनी रहती है और निखार भी आता है।
जात्यादि घृत : सर्दी में त्वचा के फटने और एड़ियां व अंगुलियों में बिवाई होने पर जात्यादि घृत यानी मेडिकेटेड घी को प्रयोग में ले सकते हैं। एक चम्मच ग्लिसरीन में कुछ बूंदें नींबू के रस की मिलाकर त्वचा पर लगाएं।
ये भी अपनाएं :
*एक चम्मच पिसी हल्दी, दो-दो चम्मच बेसन व पिसी अरहर की दाल को मिक्स कर पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाएं।
*केसर के तेल से मालिश करें।
*गुड़हल के फूलों का पेस्ट बनाकर लगाएं।
*ताजा ग्वारपाठा को छीलकर निकाला गया इसका गूदा चेहरे पर लगाया जा सकता है। साथ ही त्वचा पर अन्य जगह भी लगा सकते हैं।
*सलाद के रूप में खाए जाने वाले ककड़ी, खीरा आदि को पीसकर भी पेस्ट बनाकर त्वचा पर लगाएं। रंग निखरेगा।
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