कामकाजी माता-पिता खासकर महिलाओं के लिए मल्टी टास्किंग होना आज एक अनिवार्य गुण हो सकता है। लेकिन अब इसके दुष्प्रभाव भी सामने आने लगे हैं। अक्सर घरों में ऐसे दृश्य आम होते हैं जहां मां रसोई में गैसे के सामने खड़ी दूध उबाल रही है, लेकिन इस दौरान अपने मोबाइल पर ईमेल्स और जरूरी संदेश भी पढ़ रही होती है। इसी बीच एक बच्चा खाने के लिए कुछ मांग रहा है तो दूसरा अपने होमवर्क में मदद करने के लिए कह रहा है। मां होने के नाते महिलाएं सभी पर पूरा ध्यान देती है। लेकिन असल में जैसा दिखाई देता है यह उतना भी आसान नहीं है।
रसोई का करने के साथ ही वह बच्चों के सवालों के जवाब दे रही होती है, बच्चे को भूख लगी है इसलिए जल्दी से दूध की बोतल बनाने में भी उसकी ऊर्जा खप रही है। लेकिन एक साथ कई काम करने से मां का तनाव भी लगातार बढ़ रहा होता है जो बाहर से नजर नहीं आता। कई बार मां को भी इसकी जानकारी नहीं होती। बार-बार इस प्रक्रिया के दोहराव से अचानक हम क्रोध में आकर बच्चों पर चिल्लाने लगते हैं। गुस्से में कई बार काम भी बिगड़ जाता है। कहीं न कहीं इसका असर बच्चों के साथ माता-पिता के संबंधों पर भी पड़ता है।
टेंपरामेंट खो रहे माता-पिता
हम अक्सर इन बातों को काम के दबाव, बुरा दिन या गुस्से आ गया था कहकर टाल देते हें। लेकिन हकीकत यह है कि मल्टीटास्किंग हमें अपने बच्चों के सामने अपना टेम्परामेंट खोने के लिए मजबूर कर रही है। यह उन लोगों के लिए एक इशारा है जो अक्सर एक साथ कई काम अपने हाथ में ले लेते हैं और काम की देरी या विफल होने पर झल्लाहट अपने बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों पर निकालते हैं।
मलटी टास्किंग हमारे तनाव को विभिन्न रूपों में बढ़ाता है। यह हमें विचलित कर देता है जिससे हम ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाते और काम बिगडऩे लगते हैं। मल्टी टास्किंग से हमारी चिंता बढ़ती है जिसका असर हमारी रचनात्मकता पर पड़ता है। कई बार महत्त्वपूर्ण बातों पर ध्यान ही नहीं दे पाते। मल्टी टास्किंग भले ही एक कौशल हो लेकिन वास्तव में यह हमारी कुशलता को प्रभावित करता है, क्योंकि हम किसी काम में लगने वाले वास्तविक समय का आधा समय ही उसे करने में उपयोग कर रहे होते हैं।
भ्रामक है मल्टी टास्किंग विचारधारा
मल्टीटास्किंग का आइडिया भले ही व्यापक हो लेकिन हमारे दिमाग एक समय में सिर्फ एक चीज पर ध्यान केंद्रित करने के लिए बने हैं। हालांकि जीवनशैली के अनुसार हमने अपने दिमाग को एक साथ कई काम करने के लिए प्रशिक्षित कर लिया है। लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि मल्टीटास्किंग हमारे मस्तिष्क को यह विश्वास दिलाता है कि हम हर चीज को पूरी कुशलता के साथ करने में सक्षम हैं। जबकि सच्चाई यह है कि इससे केवल हमारा तनाव बढ़ता है। दरअसल, हम 'सर्वश्रेष्ठÓ करने की कोशिश में एक 'अभ्यस्तÓ जीवनशैली में उलझकर रह गए हैं। यही उलझन आज के माता-पिता को उनके बच्चों के साथ सामान्य रिश्ते बनाए रखने में अड़चन पैदा कर रही है।
सिंगल टास्किंग है बेहतर उपाय
इस समस्या से निपटने का सही तरीका है कि हम मल्टी टास्ंिकग की बजाय एक समय में केवल एक ही चीज़ पर ध्यान केंद्रित करें। इसका मतलब यह नहीं हैं कि हम इस अभ्यास को बिल्कुल ही नकार दें, क्योंकि न तो आवश्यक है और न ही आज के परिवेश में संभव है। लेकिन हमें यह समझना होगा कि मल्टी टास्किंग हमारे टेम्परामेंट से सीधे जुड़ी हुई है। इसलिए बार-बार आपा खोने से अच्छा है कि हम सिंगल-टास्किंग को एक रणनीति के रूप में अपनाएं। हालांकि मल्टीटास्किंग एक मुश्किल से हासिल किया गया गुण है जिसे छोडऩा आसान नहीं है। लेकिन जेसे-जैसे हम सिंगल-टास्किंग का अभ्यास करने लगेंगे यह आसान होता जाता है।
ये उपाय आएंगे काम
-एक बार में एक काम करने को हम आसानी से चुन सकते हैं। इस बात का डर मन से निकाल दें कि कई काम एक साथ नहीं निपटाए तो क्या होगा? एक समय में सिर्फ एक चीज पर ध्यान केंद्रित करने का चयन करने से आप अपना शिड्यूल अधिक प्रभावी और कुशलता से पूरा कर सकते हैं।
-अगर आप पहले से तनावग्रस्त, थके हुए या चिंतित हैं तो सिंगल-टास्किंग अपनाएं। अगर काम के दौररान आपसे कोई गड़बड़ हो भी जाती है तो बहुत नुकसान नहीं होगा।
-काम का कॉम्बिनेशन बनाएं। मसलन अपना फेवरिट म्यूजिक सुनते हुए बर्तन लगाने का काम कर लें। ऐसे ही कपउ़ों को तह करते समय बच्चों के होमवर्क में मदद करें। बचचचों के सो जाने के बाद भी बेहद जरूरी कामों को किया जा सकता है। इससे आप बच्चों की ज्यादा मदद कर सकेंगे साथ ही उनके साथ आपका मजबूत रिश्ता बनेगा।
इसके लिए सबसे पहले आपको यह स्वीकार करना होगा कि मल्टीटास्किंग मददगार नहीं है। एक समय में केवल एक काम करने से तनाव कम होता है क्योंकि तब हमें इस बात की चिंता नहीं होती कि हमें किस काम को पहले पूरा करना है। इससे अपने बच्चों पर झल्लाने की बजाय हम सोच समझकर उनकी बातों का जवाब देने स्थिति में होते हैं।
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